जगन्नाथ मंगल आरती (Jagannath Mangal Aarti)
आरती श्री जगन्नाथ
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी,
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी,
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी
जगन्नाथ मंगल आरती भगवान जगन्नाथ की आरती है जो उनकी महिमा, करुणा और दिव्यता को दर्शाती है। भगवान जगन्नाथ, जिन्हें ‘पुरी के भगवान’ भी कहा जाता है, विष्णु जी के अवतार हैं और अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पूजनीय हैं। यह आरती विशेष रूप से उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में की जाती है, जो चार धामों में से एक है।
जगन्नाथ मंगल आरती का महत्व:
- भगवान जगन्नाथ की महिमा: आरती में भगवान जगन्नाथ के असीम सौंदर्य, उनकी दया और भक्तों के प्रति प्रेम का गुणगान किया जाता है। इसे गाने से भक्त भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- मंगल आरती: इस आरती को विशेष रूप से सुबह और शाम के समय गाया जाता है। यह आरती भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों के जीवन में मंगल कामनाओं की प्राप्ति के लिए की जाती है।
- भक्ति और शांति: भगवान जगन्नाथ की आरती गाने से मन को शांति और सुकून मिलता है। इसे गाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता आती है।
आरती का समय और विशेष दिन:
- समय:
- प्रातःकाल और संध्याकाल का समय भगवान जगन्नाथ की आरती के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
- आरती के समय भगवान को फूल, माला, दीपक, धूप और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं।
- विशेष दिन:
- रथ यात्रा: भगवान जगन्नाथ की सबसे प्रसिद्ध रथ यात्रा के समय आरती का विशेष महत्व होता है। इस दिन लाखों भक्त जगन्नाथ जी की आरती में सम्मिलित होते हैं।
- एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या: इन दिनों में भी आरती का विशेष महत्व होता है और भक्तगण बड़ी श्रद्धा से भगवान की आराधना करते हैं।
आरती की विधि:
- आरती की तैयारी: सबसे पहले भगवान जगन्नाथ के समक्ष दीपक, धूप, कपूर, फूल और माला रखें।
- भगवान की स्तुति: आरती शुरू करने से पहले भगवान जगन्नाथ की स्तुति करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- आरती का गायन: आरती को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं। “जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ…” जैसे मंत्रों का उच्चारण करें।
- घंटी और शंख: आरती के दौरान शंख और घंटी बजाना भी शुभ माना जाता है। यह वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाता है।
- प्रसाद वितरण: आरती के बाद भगवान को अर्पित प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें।
जगन्नाथ मंगल आरती का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में मंगलकारी परिवर्तन होते हैं। यह आरती न केवल भक्ति का प्रतीक है बल्कि जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाने का माध्यम भी है
– जगन्नाथ मंगल आरती की 12 विधि:
1. पूजा स्थल की सफाई:
- सबसे पहले पूजा स्थल या मंदिर को साफ और पवित्र कर लें। गंगाजल का छिड़काव कर पूजा स्थल को शुद्ध करें।
2. पूजा सामग्री की तैयारी:
- दीपक, धूप, कपूर, फूल, माला, चंदन, अक्षत (चावल), फल, नैवेद्य (मिठाई), और जल का पात्र पूजा के लिए तैयार रखें।
3. भगवान जगन्नाथ की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना:
- भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति या तस्वीर को अच्छे से सजाएं और उन पर पुष्प माला चढ़ाएं।
4. दीपक जलाएं:
- भगवान के समक्ष एक घी का दीपक जलाएं। दीपक को जगन्नाथ जी के चरणों में रखें और भगवान से प्रार्थना करें।
5. धूप और कपूर जलाएं:
- धूप और कपूर जलाकर भगवान के चारों ओर घुमाएं। इससे वातावरण पवित्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
6. भगवान का आह्वान:
- भगवान जगन्नाथ का आह्वान करें और उन्हें आरती में विराजमान होने का निवेदन करें।
7. आरती का गायन:
- आरती के बोल “जय जगन्नाथ, जय जगन्नाथ…” को पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं।
- आरती के दौरान शंख और घंटी बजाएं। इससे वातावरण और भी पवित्र और आनंदमय हो जाता है।
8. प्रसाद अर्पित करें:
- भगवान को नैवेद्य (मिठाई, फल) अर्पित करें। प्रसाद को भगवान के चरणों में रखकर भक्ति भाव से अर्पित करें।
9. आरती की थाली घुमाएं:
- आरती की थाली (दीपक) को भगवान के समक्ष तीन बार घुमाएं। थाली घुमाते समय आरती के मंत्रों का उच्चारण करें।
10. जल का छिड़काव:
- आरती समाप्ति के बाद भगवान पर जल का छिड़काव करें और सभी भक्तों के ऊपर भी छिड़कें। इसे शुभ और पवित्र माना जाता है।
11. प्रसाद वितरण:
- आरती के पश्चात, प्रसाद को सभी उपस्थित भक्तों में बांटें। इसे भगवान का आशीर्वाद समझकर ग्रहण करें।
12. प्रणाम और आशीर्वाद:
- आरती के अंत में भगवान के चरणों में सिर झुकाकर प्रणाम करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
नोट: आरती करते समय पूरी श्रद्धा, शांति और भक्ति भाव होना चाहिए। इससे भगवान जगन्नाथ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।