श्री भैरव देव जी आरती:
भगवान भैरव: शिव के उग्र और दयालु अवतार
भगवान भैरव, जिन्हें भगवान शिव का उग्र अवतार माना जाता है, का नाम ही उनके भयानक स्वरूप को दर्शाता है। ‘भैरव’ शब्द का अर्थ है “भयानक,” जो उनके रौद्र रूप को इंगित करता है। वे अपने भक्तों के लिए बेहद दयालु और शत्रुओं के लिए अत्यंत क्रोधी हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान भैरव की पूजा करने से शत्रुओं से मुक्ति, संकटों से सुरक्षा और कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय प्राप्त होती है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!इसके साथ ही, भैरव जी की आराधना करने से शनि ग्रह के प्रकोप का भी शमन होता है। विशेष रूप से रविवार और मंगलवार को काल भैरव की पूजा करने से अत्यधिक फल प्राप्त होते हैं और भक्तों के जीवन में सुख-शांति का संचार होता है। उनकी कृपा से सभी विघ्न दूर होते हैं और भक्तों को हर परिस्थिति में विजय प्राप्त होती है। भगवान भैरव की आराधना से आप भी उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करें!
श्री भैरव देव जी आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
भैरव देवजी आरती की विधि:
- स्नान और शुद्धि:
- आरती से पहले स्वयं को शुद्ध करने के लिए स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- पूजा स्थल की तैयारी:
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और भैरव देव की मूर्ति या चित्र को आसन पर स्थापित करें।
- भैरव जी के आसन के पास तेल का दीपक, धूपबत्ती, पुष्प, कुमकुम, चंदन, और प्रसाद रखें।
- आरती की सामग्री:
- दीपक: घी या तेल का दीपक, विशेष रूप से सरसों के तेल का दीपक भैरव जी को अर्पित करें।
- अगरबत्ती और धूप: सुगंधित अगरबत्ती और धूप जलाएं।
- पुष्प और माला: ताजे फूल और बेलपत्र अर्पित करें। भैरव जी को विशेषकर गुलाब या कनेर के फूल प्रिय हैं।
- प्रसाद: काले तिल, लड्डू, और नारियल का प्रसाद अर्पित करें।
- आरती का आरंभ:
- सबसे पहले भैरव देवजी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं। फिर स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
- भगवान को वस्त्र, आभूषण और चंदन का तिलक लगाएं।
- दीपक जलाकर उसे भैरव जी के सामने रखें और भक्ति भाव से आरती का आरंभ करें।
- आरती गायन:
- भैरव जी की आरती को श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं। आरती के दौरान दीपक को भगवान के सामने 7 बार गोलाकार रूप में घुमाएं।
- प्रणाम और प्रसाद वितरण:
- आरती समाप्त होने के बाद भैरव जी को प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाओं को भगवान के समक्ष रखें।
- प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- घंटी बजाना और शंखनाद:
- आरती के समय घंटी बजाएं और अंत में शंखनाद करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
विशेष सुझाव:
- भैरव जी की आरती मंगलवार और शनिवार के दिन करना विशेष फलदायी माना जाता है।
- आरती के समय मन को एकाग्र रखें और भक्ति भाव से भगवान का स्मरण करें।
(इस प्रकार भैरव देव जी की आरती करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं)
भैरव देव जी की पूजा के फायदे:
(भैरव देव जी की पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पूजा भक्तों को साहस, सुरक्षा और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा प्रदान करती है। भैरव जी को तंत्र के देवता माना जाता है और उनकी पूजा विशेष रूप से भय और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है। यहाँ भैरव जी की पूजा के मुख्य लाभ बताए गए हैं)
- संकटों से मुक्ति:
- भैरव जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं, संकट और परेशानियाँ दूर होती हैं। यह पूजा भय और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
- भैरव जी की आराधना से घर और कार्यस्थल की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यह पूजा स्थान को शुद्ध और पवित्र बनाती है, जिससे सकारात्मकता का संचार होता है।
- कानूनी और शत्रुओं से रक्षा:
- भैरव जी की पूजा करने से कानूनी विवाद, शत्रुओं से मुक्ति और विजय प्राप्त होती है। यह पूजा शत्रुओं की दुष्ट योजनाओं को विफल कर देती है।
- धन और समृद्धि की प्राप्ति:
- भैरव जी को धन और समृद्धि का प्रदाता माना जाता है। उनकी पूजा करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
- साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि:
- भैरव जी की आराधना से मन में साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ता का संचार होता है। यह पूजा भक्तों को कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है।
- रोगों से मुक्ति:
- भैरव जी की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है। यह पूजा भक्तों के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा:
- भैरव जी की पूजा प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, अग्नि, और अन्य संकटों से रक्षा करती है। यह पूजा सुरक्षा और शांति प्रदान करती है।
- ग्रह दोष निवारण:
- भैरव जी की आराधना करने से ग्रहों के बुरे प्रभाव कम होते हैं। विशेष रूप से राहु और केतु के दोषों को शांत करने में भैरव जी की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।
- तंत्र-मंत्र के प्रभाव से सुरक्षा:
- यदि किसी पर तंत्र-मंत्र का बुरा प्रभाव है तो भैरव जी की पूजा से वह प्रभाव नष्ट हो जाता है।