श्री सत्यनारायण जी आरती

श्री सत्यनारायण जी आरती:

श्री सत्यनारायण पूजा भगवान विष्णु की एक लोकप्रिय पूजा है, जो ब्रह्मांड के रक्षक और सत्य के प्रतीक माने जाते हैं। “सत्य” का अर्थ है “सच्चाई” और “नारायण” का अर्थ है “सर्वोच्च सत्ता,” इसीलिए सत्यनारायण का मतलब है “वह सर्वोच्च शक्ति जो सत्य का अवतार है।”

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ओम जय लक्ष्मीरमण भगवान सत्यनारायण की सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली आरती है। यह आरती सत्यनारायण पूजा के दौरान और विष्णु भगवान से जुड़े विभिन्न अवसरों पर विशेष रूप से गाई जाती है। इस आरती के पाठ से भगवान सत्यनारायण का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाता है।

सत्यनारायण भगवान की आराधना और उनकी इस प्रसिद्ध आरती का नियमित जाप आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और शांति प्रदान करता है। भगवान सत्यनारायण के आशीर्वाद से अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भरें और हर कार्य में विजय प्राप्त करें!

श्री सत्यनारायण जी आरती हिंदी में

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

रतन जड़ित सिंहासन, अदभुत छवि राजे ।

नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

प्रकट भए कलिकारण, द्विज को दरस दियो ।

बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

दुर्बल भील कठोरो, जिन पर कृपा करी ।

चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।

सो फल भाग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्ही ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

भव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।

मनवांछित फल दीन्हो, दीन दयालु हरि ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

चढत प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।

धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायणजी की आरती, जो कोई नर गावे ।

ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

आरती के फायदे:

  • धार्मिक आस्था: आरती करने से भक्त की भगवान के प्रति आस्था और भक्ति बढ़ती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: आरती के दौरान मंत्रों का जाप और दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो वातावरण को शुद्ध करता है।
  • समर्पण का भाव: आरती करने से भक्त का समर्पण भाव जागृत होता है, जो उसे धार्मिक कर्तव्यों के प्रति प्रेरित करता है।
  • कष्टों का निवारण: आरती से जीवन में आने वाले संकट और कष्टों का निवारण होता है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
  • सुख-शांति: नियमित आरती करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
  • आशीर्वाद की प्राप्ति: आरती के माध्यम से भक्त भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है।
  • परिवार में एकता: सामूहिक रूप से आरती करने से परिवार में प्रेम और एकता बनी रहती है, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: नियमित आरती करने से मानसिक तनाव कम होता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है।

(इन सभी फायदों के माध्यम से, आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है जो भक्तों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है)

सत्यनारायण व्रत विधि:

(सत्यनारायण व्रत एक महत्वपूर्ण हिन्दू पूजा है जो विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन किया जाता है। यहाँ पर सत्यनारायण व्रत करने की विधि दी गई है)

  1. स्नान और शुद्धता:
    – व्रत आरंभ करने से पहले अच्छे से स्नान करें और शुद्धता का पालन करें।
  2. पूजा स्थल का सज्जा:
    – एक स्वच्छ जगह पर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा स्थल को फूलों और रंगोली से सजाएं।
  3. पूजा सामग्री:
    – दीपक: तेल का दीपक या मोमबत्ती।
    – धूप: धूप की अगरबत्ती।
    – फूल: भगवान को अर्पित करने के लिए।
    – प्रसाद: चावल, फल, मिठाई और नारियल।
  4. सत्यनारायण कथा सुनना:
    – पूजा के पहले सत्यनारायण की कथा सुनें या पढ़ें। यह कथा व्रत का मुख्य हिस्सा है और इसे श्रद्धा से सुनना चाहिए।
  5. आरती:
    – पूजा के बाद, भगवान सत्यनारायण की आरती करें। दीपक को भगवान के सामने रखकर आरती गाएं और मंत्रों का जाप करें।
  6. प्रसाद का वितरण:
    – आरती के बाद, भगवान को अर्पित किए गए प्रसाद को सभी भक्तों में बांट दें। यह प्रसाद शुभ माना जाता है।
  7. व्रत का पालन:
    – व्रत के दिन केवल शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करें। विशेष रूप से फल और दूध का सेवन करें।
  8. प्रार्थना:
    – अंत में भगवान सत्यनारायण से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें और सुख-शांति प्रदान करें।

(इस प्रकार, सत्यनारायण व्रत की विधि को ध्यानपूर्वक करने से भक्त को भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है)

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