आरती कुंजबिहारी की
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे ।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी ।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो ।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं ।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी…॥
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
1. आरती किसी भी पूजा, भजन, या भक्ति कार्यक्रम के समापन पर भगवान को प्रसाद अर्पण करते हुए गाई जाती है। यह भक्ति प्रदर्शन का एक अनिवार्य हिस्सा है और इससे भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त होती है। आरती दिन में कई बार की जा सकती है, लेकिन आम तौर पर यह सुबह और शाम के समय मंदिरों और घरों में की जाती है।
- सुबह की आरती: दिन की शुरुआत में भगवान को प्रार्थना और उनकी महिमा गाने के लिए सुबह की आरती की जाती है। यह भक्ति और शुद्धि का समय होता है, जिससे भक्तों का पूरा दिन मंगलमय हो जाता है।
- शाम की आरती: दिन के समापन पर या संध्या समय में, भगवान के दर्शन और उनका आशीर्वाद लेने के लिए शाम की आरती की जाती है। यह समय शांति और ध्यान का होता है, जिससे भक्त अपने सारे दिन की थकान को दूर कर सकते हैं।
- विशेष अवसर: आरती त्योहार, व्रत, और विशेष पूजा कार्यक्रम के दौरान भी गाई जाती है, जैसे जन्माष्टमी, दिवाली, नवरात्रि, और गुड़ी पड़वा के मौके पर। इससे भगवान को प्रसन्न किया जाता है और भक्तों का मन और घर पवित्र होता है।
(आरती के समय शंख, घंटी, और दीप जलाकर भगवान की महिमा गाई जाती है, जो पूजन विधि को और भी दिव्य और पवित्र बना देती है)
2. आरती गाने और उसमें भाग लेने के कई आध्यात्मिक, मानसिक और भावनात्मक लाभ होते हैं। यहाँ आरती के प्रमुख लाभ बताए गए हैं:
- आध्यात्मिक शांति: आरती करने से मन को शांति और सुकून मिलता है। यह हमारे भीतर की नकारात्मकता को दूर करके हमें भगवान के साथ जोड़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: आरती के समय शंख, घंटी और दीप की रोशनी से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो घर और मन को पवित्र और शुद्ध बनाती है।
- ध्यान और एकाग्रता में सुधार: आरती के दौरान भजन और मंत्रोच्चार से मन शांत होता है और ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है। इससे व्यक्ति की एकाग्रता में सुधार होता है।
- मानसिक तनाव और चिंता का नाश: आरती का संगीत और भगवान का स्मरण मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है। इससे मन हल्का और प्रसन्न रहता है।
- भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि: आरती गाने या सुनने से भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है। यह भगवान के साथ हमारे रिश्ते को गहरा और मजबूत बनाती है।
- सामाजिक और पारिवारिक एकता: आरती अक्सर सामूहिक रूप से की जाती है, जिससे परिवार और समाज के लोगों के बीच प्रेम और एकता की भावना बढ़ती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: ऐसा माना जाता है कि आरती करने से पाप और बुरे कर्मों का शुद्धिकरण होता है और व्यक्ति को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
- धन और समृद्धि का आगमन: नियमित रूप से आरती करने से घर में धन, समृद्धि और सुख-शांति का आगमन होता है। यह भगवान की कृपा पाने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है।
- स्वास्थ्य लाभ: आरती के समय बजने वाली घंटी और शंख की ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है और शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाती है। यह वाइब्रेशन्स सेहत के लिए भी लाभकारी होते हैं।
- सकारात्मक सोच का विकास: आरती से मन और आत्मा सकारात्मक विचारों से भर जाते हैं, जिससे जीवन में हर परिस्थिति का सामना करने की शक्ति मिलती है।
(इन लाभों के कारण आरती को भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह न केवल धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य का भी एक अद्भुत साधन है)