विन्ध्येश्वरी माँ आरती
भक्त इन पंक्तियां को स्तुति श्री हिंगलाज माता और श्री विंध्येश्वरी माता की आरती के रूप मे प्रयोग करते हैं:
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
ले तेरी भेंट चढ़ायो माँ ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सुवा चोली तेरी अंग विराजे ।
केसर तिलक लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
नंगे पग मां अकबर आया ।
सोने का छत्र चडाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ऊंचे पर्वत बनयो देवालाया ।
निचे शहर बसाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
सत्युग, द्वापर, त्रेता मध्ये ।
कालियुग राज सवाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
धूप दीप नैवैध्य आर्ती ।
मोहन भोग लगाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
ध्यानू भगत मैया तेरे गुन गाया ।
मनवंचित फल पाया ॥
सुन मेरी देवी पर्वतवासनी ।
कोई तेरा पार ना पाया माँ ॥
आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
(विन्ध्येश्वरी माता को माता दुर्गा का एक स्वरूप माना जाता है। वे विशेष रूप से विन्ध्याचल पर्वत पर स्थित हैं, जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में है। विन्ध्याचल क्षेत्र में स्थित यह मंदिर माता के तीन प्रमुख रूपों में से एक के रूप में जाना जाता है। माता विन्ध्येश्वरी को सृष्टि की रक्षक और शक्ति का प्रतीक माना जाता है! विन्ध्येश्वरी माता को इसलिए भी विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने असुरों का संहार कर देवताओं को मुक्त किया था। दुर्गा सप्तशती में विन्ध्येश्वरी का वर्णन किया गया है, जहां यह बताया गया है कि उन्होंने महिषासुर और अन्य दैत्यों का नाश किया था। उन्हें “विन्ध्य की अधिष्ठात्री देवी” के रूप में पूजा जाता है, यानी वे विन्ध्याचल पर्वत की देवी हैं)
विन्ध्येश्वरी माता की महिमा:
- सर्वशक्ति की देवी: विन्ध्येश्वरी माता को समस्त शक्ति की देवी माना जाता है, जिनके आशीर्वाद से उनके भक्तों के सभी दुःख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
- मनोकामना पूर्ति: ऐसा कहा जाता है कि विन्ध्याचल में माता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भक्त विशेष रूप से संतान प्राप्ति, वैवाहिक सुख, और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए यहाँ आते हैं।
- शत्रु नाशिनी: विन्ध्येश्वरी माता को शत्रुओं का नाश करने वाली और अपने भक्तों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है।
विन्ध्याचल धाम:
विन्ध्याचल एक प्राचीन तीर्थस्थल है जहाँ तीन प्रमुख शक्तिपीठ स्थित हैं:
- विन्ध्यवासिनी माता (मुख्य मंदिर)
- अष्टभुजा देवी (दुर्गा का एक रूप)
- कालीखोह मंदिर (काली माता का मंदिर)
यह तीनों मंदिर शक्तिपीठ के रूप में पूजित हैं, और ऐसा माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से विशेष शक्ति और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
विन्ध्येश्वरी माता की महिमा का वर्णन प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है, और नवरात्रि के समय विशेष रूप से यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगता है।