महादेव की दिव्य शक्ति का अनुभव करें: शिव चालीसा का पाठ करें और पाएं शक्ति, शांति और अनंत आशीर्वाद!
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!शिव चालीसा (Shiv Chalisa)
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
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शिव चालीसा के फायदे:
1. शिव की कृपा: शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद मिलता है। यह पाठ भक्त के जीवन में सुख और शांति लाता है।
2. दुख और क्लेश दूर होते हैं: चालीसा के पाठ से दुख और क्लेश दूर होते हैं। भगवान शिव की शक्ति से जीवन की कठिनाइयाँ आसान हो जाती हैं।
3. मन की शांति: शिव चालीसा का पाठ करने से मन को शांति और सुकून मिलता है। भक्त के मन में विश्वास और शांति का अनुभव होता है।
4. स्वास्थ्य में सुधार: भगवान शिव की पूजा और पाठ से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। रोग और बीमारियों से बचाव होता है।
5. समृद्धि और ऐश्वर्य: चालीसा का पाठ धन और समृद्धि का विकास करता है। भगवान शिव की कृपा से ऐश्वर्य और धन की वृद्धि होती है।
6. भक्ति में विकास: शिव चालीसा का पाठ करने से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। भक्त के अंदर भगवान शिव के प्रति गहरा प्रेम और विश्वास जागता है।
7. पारिवारिक शांति: चालीसा पाठ से परिवार में शांति और सुख बना रहता है। घर के माहौल में एकता और समर्पण बना रहता है।
(शिव चालीसा का नित्य पाठ करने से भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन को सुखद और समृद्ध बनाता है)
शिव चालीसा पाठ विधि:
1. शिवलिंग या शिव की मूर्ति की पूजा: पाठ शुरू करने से पहले, एक साफ और पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को स्थापित करें। शिवलिंग को धूप, दीप, और फूल से सजाएं।
2. स्नान और अभिवादन: अपने आप को स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनें। पाठ के लिए मन और शरीर दोनों को पवित्र रखना जरूरी है।
3. मंत्र उच्चारण: पाठ शुरू करने से पहले “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करें। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित होता है और पाठ को सफल बनाता है।
4. पूजा की सामग्री: पूजा की थाली में धूप, दीप, फूल, रोली, चावल, और प्रसाद (जैसे कि खीर या मिठा) रखें। शिवलिंग पर जल (गंगाजल) छिड़कें और उसके साथ शुद्ध सामग्री का उपयोग करें।
5. शिव चालीसा का पाठ: शिव चालीसा को ध्यान और श्रद्धा के साथ पढ़ें। हर चौपाई और स्तोत्र को मन से समझकर और उच्चारण करके पढ़ें।
6. आरती: पाठ के बाद भगवान शिव की आरती करें। आरती के दौरान दीप और धूप जलाएं और शिवलिंग को प्रसाद का भोग लगाएं।
7. मंत्र जाप और ध्यान: पाठ के बाद कुछ समय तक भगवान शिव का ध्यान करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। यह आपके मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।
8. समर्पण और प्रार्थना: अंत में भगवान शिव से अपने और अपने परिवार के सुख, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। अपने मन की इच्छाओं और आशाओं को भगवान शिव के सामने समर्पित करें।
(इस प्रकार के पाठ से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है और आपके जीवन में सुख और शांति आती है)