आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, जन्माष्टमी के पावन अवसर पर गाई जाती है। यह त्योहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन हर मंदिर में भव्य आयोजन होता है। इस विशेष अवसर पर, कुंजबिहारी जी की आरती गाते समय, शंख, घंटी, और करताल की मधुर ध्वनि से वातावरण को भक्ति से भर दें। अपने परिवार के साथ इस दिव्य आरती में शामिल होकर, कृष्ण की पूजा और भक्ति का आनंद लें।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
यहाँ पढ़े : कुंज बिहारी श्री गिरधर कृष्ण मुरारी लिरिक्रस इन इंग्लिश
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